नई दिल्ली, 3 फरवरी 2025: कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) पर अस्थायी रोक लगा दी थी। इस विषय पर लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि सरकार ने 01.01.2020, 01.07.2020 और 01.01.2021 को दिए जाने वाले डीए और डीआर की किस्तों को जारी न करने का निर्णय लिया था।
महंगाई भत्ते (DA) की रोक के कारण
वित्त राज्य मंत्री ने जवाब में बताया कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया। महामारी के दौरान सरकारी खजाने पर दबाव था, जिससे वित्तीय संतुलन बनाए रखने के लिए डीए और डीआर की किस्तें रोकी गईं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने इन रोकी गई किस्तों को भविष्य में जारी करने का कोई प्रावधान नहीं रखा है।
क्या सरकार रोकी गई किस्तों का भुगतान करेगी?
वित्त राज्य मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि रोकी गई किस्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार भविष्य में इन भुगतानों को जारी करने पर विचार कर रही है, मंत्री ने कहा कि यह प्रश्न ही नहीं उठता।
महंगाई भत्ता समाप्त करने की अटकलों पर सरकार का जवाब
लोकसभा में यह सवाल भी किया गया कि क्या सरकार भविष्य में महंगाई भत्ते या महंगाई राहत को पूरी तरह समाप्त करने पर विचार कर रही है। इस पर वित्त राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई इरादा नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के बाद सरकार द्वारा लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय संसाधनों की आवश्यकताओं को देखते हुए, भविष्य में डीए और डीआर की दरों में किसी तरह का स्थायी परिवर्तन संभव नहीं है।
कर्मचारियों और पेंशनधारकों की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार के इस जवाब से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में नाराजगी देखी जा रही है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि डीए और डीआर वेतन का हिस्सा होते हैं और इन्हें रोकना अन्यायपूर्ण था। कुछ संगठनों ने सरकार से मांग की है कि रोकी गई किस्तों को एकमुश्त भुगतान किया जाए, ताकि कर्मचारियों और पेंशनधारकों को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक संकट का सामना करते हुए केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को रोकने का निर्णय लिया था। अब सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि इन रोकी गई किस्तों को भविष्य में जारी नहीं किया जाएगा। हालांकि, कर्मचारियों और पेंशनधारकों के संगठन अभी भी सरकार से इस फैसले को बदलने की मांग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर दोबारा विचार करती है या नहीं।
Govt have funds to pay 2500 per month to purchase the votes during Delhi elections but not for returning the deducted DA. Which policy this is?