DA/DR विलय पर बड़ा फैसला: 49 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 67 लाख पेंशनर्स को होगा नुकसान

महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) का विलय केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान में डीए/डीआर को मूल वेतन या पेंशन में मर्ज करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को संभावित वित्तीय लाभ से वंचित रहना पड़ेगा।


क्या है DA/DR और इसका महत्व?

महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) का भुगतान केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को जीवन-यापन की लागत में हो रही वृद्धि की भरपाई के लिए किया जाता है। इसका निर्धारण अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI) के आधार पर किया जाता है और हर 6 महीने में संशोधित किया जाता है।

वर्तमान स्थिति:

  • केंद्र सरकार के 49 लाख कर्मचारियों और 67 लाख पेंशनर्स को इस समय 53% DA/DR दिया जा रहा है।
  • 1 जनवरी 2025 से इसमें 2% की बढ़ोतरी हुई।
  • सरकार ने DA वृद्धि पर आधिकारिक घोषणा कर दी है

DA/DR विलय पर सरकार का रुख

राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान ने सरकार से पूछा था कि क्या आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने से पहले डीए/डीआर को मूल वेतन/पेंशन में मर्ज किया जाएगा? इस पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जवाब दिया कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें:

7वें वेतन आयोग ने सुझाव दिया था कि जब DA/DR 50% से अधिक हो जाए, तो उसे मूल वेतन में मर्ज किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने इस सिफारिश को लागू नहीं किया है।

मर्ज न करने से नुकसान:

  • ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, यदि DA/DR का विलय हो जाता, तो कर्मचारियों के कुल वेतनमान में 1-1.5% की बढ़ोतरी होती।
  • उदाहरण के लिए, ₹18,000 के मूल वेतन पर काम करने वाले कर्मचारी को लगभग ₹270 प्रति माह का लाभ मिलता।
  • डीए/डीआर मर्ज होने से भत्तों (HRA, TA आदि) में भी वृद्धि होती, जिससे कुल वेतन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता।

कर्मचारी संघों का क्या कहना है?

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) के महासचिव श्रीकुमार ने कहा कि जब भी DA/DR 50% से अधिक हो जाता है, तो इसे मूल वेतन में मर्ज करना एक स्थापित प्रक्रिया रही है। सरकार ने पहले भी वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था, लेकिन इस बार इसे अनदेखा किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि डीए मर्ज होने से:

  • मूल वेतन में बढ़ोतरी होती, जिससे पेंशन की गणना में भी फायदा मिलता।
  • अन्य भत्तों में भी स्वतः वृद्धि होती, जिससे कर्मचारियों की कुल आय में इजाफा होता।

निष्कर्ष: क्या होगा अगला कदम?

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को उम्मीद थी कि सरकार 50% से अधिक डीए/डीआर को मूल वेतन में जोड़ने का फैसला करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका सीधा असर वेतन और पेंशन पर पड़ेगा।

अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या सरकार आगामी आठवें वेतन आयोग में इस मुद्दे को शामिल करेगी या नहीं। कर्मचारी संघ और पेंशनर्स संगठन इस फैसले के खिलाफ आगे रणनीति बना सकते हैं।


क्या आप भी डीए/डीआर के विलय से प्रभावित हैं?

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