नई दिल्ली: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, जब महंगाई भत्ता (DA) 50% तक पहुँच जाता है, तो इसे मूल वेतन (Basic Pay) में मर्ज किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया है, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान हो रहा है।
50% DA मर्ज नहीं होने से कितना नुकसान हो रहा है?
सरकारी कर्मचारियों का वेतन महंगाई भत्ते (DA) और मूल वेतन (Basic Pay) का कुल योग होता है। यदि सरकार 50% DA को बेसिक में मर्ज कर देती, तो कर्मचारियों के कुल वेतन में बढ़ोतरी होती। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
- मौजूदा स्थिति:
- Basic Pay: ₹76,500
- 53% DA: ₹40,545
- कुल वेतन: ₹1,17,045
- यदि 50% DA मर्ज होता:
- New Basic Pay: ₹1,14,750 (₹76,500 + 50% DA)
- 3% DA: ₹3,442.50
- कुल वेतन: ₹1,18,192.50
कर्मचारियों को हर महीने हो रहा ₹1,147.50 का नुकसान
यदि सरकार 50% DA को बेसिक वेतन में शामिल कर देती, तो कुल वेतन ₹1,18,192.50 होता, यानी मौजूदा वेतन से ₹1,147.50 अधिक। यह नुकसान 2026 तक लगातार जारी रहेगा।
सरकारी कर्मचारियों की माँग क्यों जायज है?
- जब भी DA 50% के पार पहुँचता है, उसे बेसिक वेतन में जोड़ने की परंपरा रही है।
- इससे महंगाई के असर को संतुलित किया जाता है और कर्मचारियों का वेतन बढ़ता है।
- यदि सरकार इसे 8वें वेतन आयोग तक टालती है, तो करोड़ों कर्मचारियों को अनावश्यक वित्तीय नुकसान होगा।
सरकार को क्या करना चाहिए?
सरकार को जल्द से जल्द 50% DA को बेसिक वेतन में मर्ज करने का निर्णय लेना चाहिए, ताकि कर्मचारियों को उनका वाजिब लाभ मिल सके। इससे भविष्य में DA की गणना भी अधिक प्रभावी होगी और सरकारी कर्मचारियों को अधिक आर्थिक स्थिरता मिलेगी।
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