देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधिकारिक रोष पत्र लिखकर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लागू करने और पुरानी पेंशन योजना (OPS) को विकल्प के रूप में शामिल करने की मांग दोहराई है।
क्या है कर्मचारियों की मांग?
सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि जिस तरह डेथ (मृत्यु) और डिसएबिलिटी (दिव्यांगता) मामलों में कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) या पुरानी पेंशन योजना (OPS) में से किसी एक को चुनने की आजादी दी गई है, ठीक उसी तरह सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) और अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामलों में भी यह विकल्प दिया जाए।
NPS से OPS में स्विच करने की मांग क्यों?
सरकारी कर्मचारियों का मानना है कि OPS को चुनने से न तो सरकार को नुकसान होगा और न ही कर्मचारियों को।
- यदि कोई कर्मचारी OPS को चुनता है, तो सरकार का अंशदान सरकार को वापस चला जाएगा, जबकि कर्मचारी का अंशदान और उस पर मिलने वाला ब्याज कर्मचारी को मिल जाएगा।
- इससे कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन मिलेगी, जिससे वे रिटायरमेंट के बाद वित्तीय रूप से सुरक्षित महसूस करेंगे।
- सरकार को भी फायदा होगा, क्योंकि हर साल लाखों करोड़ रुपए सरकारी खजाने में वापस आ सकते हैं।
- राज्य सरकारों के नियमों के अनुसार, जिस राज्य में जितने वर्षों की सेवा पर जितनी पेंशन दी जाती है, उसी आधार पर OPS के तहत पेंशन दी जा सकती है।
कर्मचारियों को क्या लाभ होगा?
✅ निश्चित पेंशन – OPS में पेंशन आखिरी बेसिक सैलरी का 50% होती है, जिससे कर्मचारियों को स्थायी आय का भरोसा मिलता है।
✅ सरकार पर वित्तीय दबाव कम होगा, क्योंकि NPS से अंशदान वापस लिया जा सकता है।
✅ रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा, जिससे कर्मचारी और उनके परिवारों को फायदा मिलेगा।
✅ समानता और न्याय – जो कर्मचारी पहले से OPS में हैं, और जो अभी NPS में हैं, उनके बीच समानता होगी।
सरकार क्या करेगी?
सरकारी कर्मचारी यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लेकर लगातार आंदोलन और ज्ञापन सौंप रहे हैं। अब यह देखना अहम होगा कि प्रधानमंत्री और सरकार इस मांग पर क्या निर्णय लेते हैं। यदि OPS को फिर से विकल्प के रूप में लागू किया जाता है, तो यह देशभर के लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी।