भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय ने हाल ही में पेंशन के लिए आनुपातिक मानदंड (Pro-Rata) को लेकर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। लोकसभा में पूछे गए अतारांकित प्रश्न संख्या 1678 के तहत एडवोकेट डीन कुरियाकोस द्वारा सरकार से यह जानकारी मांगी गई कि क्या पेंशन के लिए आनुपातिक मानदंड को मंजूरी दी गई है और इसका पेंशनभोगियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
सरकार की ओर से श्रम और रोजगार राज्य मंत्री, सुश्री शोभा करांदलाजे ने इस प्रश्न का उत्तर देते हुए स्पष्ट किया कि कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 के तहत पेंशन योग्य वेतन की गणना आनुपातिक आधार पर की जाएगी।
क्या है पेंशन का आनुपातिक मानदंड?
सरकार द्वारा जारी नए परिपत्र के अनुसार, पेंशन योग्य वेतन दो अलग-अलग अवधियों के लिए अलग-अलग तय किया गया है:
- 1 सितंबर, 2014 तक की सेवा अवधि – इस दौरान अधिकतम पेंशन योग्य वेतन ₹6,500 प्रति माह होगा।
- 1 सितंबर, 2014 के बाद की सेवा अवधि – इस अवधि में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन ₹15,000 प्रति माह होगा।
इसका अर्थ यह है कि पेंशन की गणना कर्मचारी की सेवा अवधि को दो भागों में विभाजित करके की जाएगी।
क्या यह निर्णय विवादास्पद है?
यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब विभिन्न न्यायालयों में आनुपातिक मानदंड को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। कई कर्मचारी संगठनों का मानना है कि सेवा अवधि को दो भागों में विभाजित करने से पेंशन की राशि कम हो सकती है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह गणना न्यायसंगत है और इसमें सभी पेंशनभोगियों को समान स्तर पर रखा गया है।
क्या इससे पेंशन की राशि कम होगी?
कुछ पेंशनभोगियों को आशंका है कि इस नये पद्धति से उनकी पेंशन राशि घट सकती है। सरकार के अनुसार:
- दो अलग-अलग अवधियों में वेतन की गणना करने से पेंशन की कुल राशि पर प्रभाव पड़ सकता है।
- इसका असर विशेष रूप से उन कर्मचारियों पर होगा, जिनका वेतन 1 सितंबर, 2014 के पहले कम था और बाद में बढ़ा।
- ईपीएफओ (EPFO) ने 18 जनवरी, 2025 को जारी परिपत्र में कहा है कि यह गणना पूरी तरह न्यायसंगत है और इसमें वेतन सीमा के तहत आने वाले तथा उच्च वेतन प्राप्त करने वाले दोनों पेंशनभोगियों को समान स्तर पर रखा गया है।
पेंशनभोगियों के लिए इस फैसले के संभावित प्रभाव
✔ सकारात्मक प्रभाव:
- सरकार का दावा है कि इस मानदंड से सभी पेंशनभोगियों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।
- उच्च वेतन पाने वाले और कम वेतन सीमा के तहत आने वाले कर्मचारियों को एकसमान पेंशन के लिए योग्य माना जाएगा।
❌ नकारात्मक प्रभाव:
- जो कर्मचारी 2014 से पहले कम वेतन पर काम कर रहे थे, उनकी पेंशन की राशि प्रभावित हो सकती है।
- सेवा अवधि को दो भागों में विभाजित करने से कई पेंशनभोगियों को उम्मीद से कम पेंशन मिल सकती है।
- न्यायालयों में लंबित याचिकाओं के कारण यह नीति विवाद का विषय बनी रह सकती है।
निष्कर्ष
भारत सरकार द्वारा जारी किया गया यह नया आनुपातिक पेंशन मानदंड पेंशनभोगियों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। हालांकि, न्यायालयों में इस नीति को लेकर मामले लंबित हैं और कर्मचारी संगठनों में भी इसे लेकर असमंजस बना हुआ है। ऐसे में, आने वाले दिनों में इस परिपत्र को लेकर और स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो सकती है।
पेंशनभोगियों को सलाह दी जाती है कि वे इस विषय पर ईपीएफओ (EPFO) की आधिकारिक वेबसाइट पर नवीनतम अपडेट देखते रहें और अपने संगठनों के माध्यम से अपने अधिकारों की जानकारी लें।