वित्त विधेयक में पेंशन असमानता से जुड़ी चिंताओं पर DOPPW सचिव के साथ बैठक में क्या हुवा

बैठक की तिथि: 29 मार्च 2025 | माध्यम: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

प्रिय साथियों,

हाल ही में भारत सरकार ने संसद में वित्त विधेयक पारित किया, जिसमें “केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम” और “समेकित निधि से पेंशन व्यय के सिद्धांतों” से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया। इस प्रावधान के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त हुआ है कि वह विभिन्न केंद्रीय वेतन आयोगों की सिफारिशों के आधार पर पेंशनभोगियों के बीच अंतर कर सकती है। मुख्य रूप से, यह भेदभाव सेवानिवृत्ति की तिथि या केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की तिथि के आधार पर किया जा सकता है।

पेंशनभोगियों की चिंता और विरोध

वित्त विधेयक के इस प्रावधान के खिलाफ राष्ट्रीय परिषद (JCM) के स्टाफ साइड और विभिन्न पेंशनर्स एसोसिएशनों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। इन संगठनों का मानना है कि यह नया नियम 7वें वेतन आयोग द्वारा लागू की गई “पेंशन समानता” को कमजोर कर सकता है।

अब जबकि 8वां वेतन आयोग जल्द ही प्रभाव में आ सकता है, पेंशनभोगियों को इस बात की चिंता सता रही है कि 01/01/2026 से पहले और बाद में सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनर्स के लिए अलग-अलग नियम लागू किए जा सकते हैं। इसी मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए DOP&PW (विभागीय पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण) के सचिव ने स्टाफ साइड के स्थायी समिति के सदस्यों और पेंशनर्स एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों के साथ एक विशेष बैठक बुलाई।

बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख सदस्य:

  1. शिव गोपाल मिश्रा
  2. गुमान सिंह
  3. सी. श्रीकुमार
  4. भोसले
  5. शंकर राव
  6. रूपक सरकार

सरकार का स्पष्टीकरण और मुख्य बिंदु

बैठक के दौरान स्टाफ साइड के सदस्यों ने इस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों और 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ बताया। उन्होंने मांग की कि सरकार स्पष्ट करे कि यह नया नियम भविष्य में पेंशन समानता को कैसे प्रभावित करेगा।

DOP&PW सचिव द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण:

  1. इतिहास में भी पेंशन असमानता रही है: 5वें और 6वें वेतन आयोग ने भी पेंशनभोगियों के बीच सेवानिवृत्ति की तिथि के आधार पर भेदभाव किया था। हालांकि, उस समय सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ऐसा करने का कानूनी अधिकार नहीं था। इसीलिए अब इसे कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए CCS (Pension) Rules में संशोधन किया गया है।
  2. पेंशन समानता को बनाए रखने की मंशा: सचिव (पेंशन) ने स्पष्ट किया कि सरकार 7वें वेतन आयोग द्वारा दी गई पेंशन समानता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। 8वें वेतन आयोग में भी यह जारी रहेगा।

स्टाफ साइड की मुख्य मांगें:

सरकार की सफाई के बावजूद, स्टाफ साइड प्रतिनिधियों ने निम्नलिखित मांगें रखीं:

  1. एक औपचारिक स्पष्टीकरण जारी किया जाए ताकि पेंशनर्स की चिंता दूर हो सके।
  2. 8वें वेतन आयोग के कार्यक्षेत्र में इस मुद्दे को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की असमानता न हो।

सचिव (पेंशन) ने इन मांगों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया और जल्द ही इस विषय पर सरकार द्वारा एक स्पष्टीकरण जारी करने की बात कही।

पेंशन बहाली पर चर्चा

बैठक में 12 वर्षों के बाद पेंशन की संचित राशि (Commuted Portion of Pension) की बहाली का मुद्दा भी उठाया गया। स्टाफ साइड के सदस्यों ने इस पर विशेष ध्यान देने की मांग की। इस पर सचिव (पेंशन) ने बताया कि इस विषय को 8वें वेतन आयोग को संदर्भित करने का निर्णय लिया गया है और इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।

निष्कर्ष

इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान पेंशनभोगियों से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई और सरकार ने यह संकेत दिया कि वह पेंशनर्स के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, जब तक औपचारिक स्पष्टीकरण जारी नहीं होता, तब तक पेंशनभोगियों में असमंजस की स्थिति बनी रह सकती है। हम आपको आगे की प्रगति से नियमित रूप से अवगत कराते रहेंगे।

Leave a Comment