नई दिल्ली, 10 मार्च 2025: केंद्र सरकार द्वारा EPS पेंशनभोगियों के पेंशन गणना में आनुपातिक मानदंड लागू करने को लेकर लोकसभा में प्रश्न उठाया गया। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि आनुपातिक मानदंड के आधार पर पेंशन गणना का निर्णय लिया गया है, लेकिन इससे जुड़े कुछ मुद्दे न्यायालयों में विचाराधीन हैं।
क्या है EPS आनुपातिक पेंशन मानदंड?
सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) के तहत पेंशन योग्य वेतन की गणना आनुपातिक आधार पर करने का निर्णय लिया है। इसके तहत:
- 1 सितंबर 2014 के बाद से लागू नियमों के अनुसार, योग्य वेतन की गणना सेवा अवधि के आधार पर होगी।
- अधिकतम सीमा छह हजार पांच सौ रुपये प्रति माह तय की गई है, लेकिन सेवा अवधि के आधार पर यह घट-बढ़ सकती है।
- यदि सेवा अवधि कम है, तो पेंशन राशि भी कम होगी।
क्या इससे पेंशनर्स की पेंशन राशि कम होगी?
विभिन्न संगठनों और पेंशनर्स यूनियनों ने चिंता जताई है कि पेंशन योग्य वेतन को विभाजित करने से पेंशन राशि में कटौती होगी। कई मामलों में यह मुद्दा न्यायालयों में लंबित है, फिर भी सरकार ने आनुपातिक मानदंड लागू कर दिया है।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि:
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 18 जनवरी 2025 को परिपत्र जारी कर पेंशन गणना को न्यायसंगत बताया है।
- इस आधार पर निम्न वेतन सीमा और उच्च वेतन सीमा वाले पेंशनभोगियों को समान स्तर पर माना जाएगा।
- इसका उद्देश्य पेंशन गणना में संतुलन बनाना है, लेकिन इससे कुछ पेंशनर्स को नुकसान भी हो सकता है।
पेंशनर्स को क्या करना चाहिए?
- यदि आपकी पेंशन प्रभावित हो रही है, तो संबंधित EPFO कार्यालय में संपर्क करें।
- यदि आपको लगता है कि आपकी पेंशन राशि गलत गणना हुई है, तो न्यायालय में अपील कर सकते हैं।
- EPS-95 पेंशनर्स यूनियन से जुड़कर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार पर दबाव बना सकते हैं।
निष्कर्ष
EPS-95 पेंशनर्स के लिए आनुपातिक मानदंड लागू करने का फैसला विवादास्पद बन सकता है। सरकार इसे संतुलित और न्यायसंगत मान रही है, लेकिन पेंशनर्स इसे पेंशन में कटौती का तरीका बता रहे हैं। न्यायालयों में विचाराधीन याचिकाओं के फैसले से इस मामले में आगे क्या होगा, यह तय होगा।
आपका क्या विचार है? क्या आनुपातिक पेंशन मानदंड सही निर्णय है? कमेंट में अपनी राय दें!