हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया सख्त निर्देश, पेंशनधारकों को राहत मिलने की उम्मीद
नई दिल्ली: उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि पेंशन से काटी गई राशि का भुगतान जल्द किया जाए, अन्यथा स्वास्थ्य सचिव को 7 तारीख को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा।
यह आदेश एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें पेंशनधारकों ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन से अनावश्यक कटौती की शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि या तो बकाया राशि का तुरंत भुगतान करें, या फिर स्वास्थ्य सचिव व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण देने के लिए कोर्ट में पेश हों।
हाईकोर्ट ने कहा पेंशनधारकों को हो रही दिक्कतें
पेंशनभोगियों का कहना है कि सरकार द्वारा बिना किसी वैध कारण के उनकी पेंशन से कटौती की जा रही है। कई मामलों में, यह कटौती गलत तरीके से लागू नियमों, तकनीकी खामियों या विभागीय लापरवाही के कारण हुई है।
🔹 मुख्य शिकायतें:
✅ पेंशन की राशि में अनावश्यक कटौती
✅ बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं
✅ स्वास्थ्य लाभ और चिकित्सा भत्तों में देरी
इस संबंध में पेंशनधारकों ने कई बार स्वास्थ्य मंत्रालय और पेंशन विभाग को पत्र लिखे, लेकिन उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
हाईकोर्ट के आदेश के प्रमुख बिंदु:
- पेंशनधारकों को उनकी सही पेंशन दी जाए और कटौती की गई राशि लौटाई जाए।
- अगर सरकार 7 तारीख तक बकाया राशि जारी नहीं करती, तो स्वास्थ्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है।
पेंशनधारकों के लिए राहत की उम्मीद
हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद पेंशनधारकों को उम्मीद है कि उन्हें उनकी पूरी पेंशन जल्द ही वापस मिलेगी।
सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाए, ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारी और पेंशनधारक अपनी जिंदगी बिना किसी वित्तीय कठिनाई के जी सकें।
श्री मान जी मेरे साथ भी यही हुआ।मेरे रिटायरमेंट बाद मेरी एम ए सी पी -2 व 3 की कटोती करके वेतन कम किया ,फिर 6-7 महीने बाद ग्रेच्युटी, व अन्य बैनीफिट बिना बयाज के दिया।मैने सूचना प्रसारण मंत्रालय व परषार भारती को लिखा ,मगर सरकार के कानों पर जूं नही रेंगती।कया करें,करपया बताए?
Quick actions needed. Please feel the suffering of old age pensions.