रेल मंत्रालय ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के रेलवे पेंशनर्स और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए रेलवे अस्पतालों में मेडिकल सुविधाओं में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। रेलवे बोर्ड द्वारा जारी नई अधिसूचना के अनुसार, ओपीडी परामर्श और सुविधाएं अब कुछ विशेष परिस्थितियों में ही उपलब्ध होंगी।
मुख्य बदलाव
- ओपीडी सुविधा केवल रेलवे अस्पतालों में पंजीकृत लाभार्थियों के लिए
- जिन पेंशनर्स और कर्मचारियों के पास वैध उमंग आईडी (UMID) कार्ड नहीं है, उन्हें ओपीडी सेवाएं नहीं मिलेंगी।
- वे केवल उन रेलवे अस्पतालों में परामर्श ले सकते हैं जहाँ वे पंजीकृत हैं।
- संशोधित प्राथमिकता योजना
- पहले यह योजना 01.11.2023 से 31.10.2024 तक के लिए थी, जिसे अब बढ़ाकर 01.11.2024 से 31.10.2027 तक कर दिया गया है।
- इस दौरान, केवल उन्हीं पेंशनर्स को मेडिकल सुविधाएं दी जाएंगी जो रेलवे के अस्पतालों में पहले से पंजीकृत हैं।
- केवल चयनित मामलों में ओपीडी सेवा उपलब्ध
- 70+ वर्ष के पेंशनर्स, जिनके पास वैध मेडिकल कार्ड नहीं है, उन्हें सामान्य ओपीडी सेवाएं नहीं दी जाएंगी।
- यदि किसी पेंशनर का इलाज पहले से रेलवे अस्पताल में चल रहा है और उसे निरंतर देखभाल की आवश्यकता है, तो ही वह ओपीडी सेवाओं के लिए पात्र होगा।
रेलवे बोर्ड का उद्देश्य
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य मेडिकल सुविधाओं का अधिक कुशल और प्रभावी प्रबंधन करना है। इससे केवल जरूरतमंद और पात्र लाभार्थियों को ही सुविधाएं मिलेंगी और अस्पतालों पर अतिरिक्त भार कम होगा।
किसे होगा फायदा और नुकसान?
✅ लाभ:
- पहले से पंजीकृत पेंशनर्स को निरंतर और सुव्यवस्थित इलाज मिलेगा।
- अस्पतालों में भीड़ कम होगी, जिससे अन्य मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।
❌ नुकसान:
- जिन पेंशनर्स के पास वैध मेडिकल कार्ड नहीं है, उन्हें ओपीडी सुविधा नहीं मिलेगी।
- 70+ वर्ष के कई पेंशनर्स को वैकल्पिक चिकित्सा सेवाओं की तलाश करनी पड़ सकती है।
निष्कर्ष
रेलवे बोर्ड द्वारा जारी यह नया नियम उन पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण है जो रेलवे अस्पतालों पर निर्भर हैं। सभी लाभार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे अपना मेडिकल कार्ड अपडेट रखें और रेलवे अस्पतालों में पंजीकरण कराएं ताकि भविष्य में किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
70+को लाइन में खड़े रहना मुश्किल होता है इसलिए इन्हें लाइन में ना खड़े रहना पड़े इसके लिए अतिरिक्त प्रबंध होना चाहिए। धन्यवाद